Salasar Hanuman Ji Aarti In Sanskrit

 ॥ Salasar Hanuman ji Aarti Sanskrit Lyrics ॥

॥ सालासर हनुमान आरती ॥
जयति जय जय बजरंग बाला,
कृपा कर सालासरवाला । जयति जय जय

चैत सुदी पूनम को जन्मे,
अंजनी पवन ख़ुशी मन में ।
प्रकट भये सुर वानर तन में,
विदित यस विक्रम त्रिभुवन में । जयति जय जय

दूध पीवत स्तन मात के,
नजर गई नभ ओर ।
तब जननी की गोद से पहुंचे,
उदयाचल पर भोर ।
अरुण फल लखि रवि मुख डाला ॥ जयति जय जय ॥ 1 ॥

तिमिर भूमण्डल में छाई,
चिबुक पर इन्द्र बज्र बाए ।
तभी से हनुमत कहलाए,
द्वय हनुमान नाम पाये ।
उस अवसर में रूक गयो,
पवन सर्व उन्चास ।
इधर हो गयो अन्धकार,
उत रुक्यो विश्व को श्वास ।
भये ब्रह्मादिक बेहाला ॥ जयति जय जय ॥ 2 ॥

देव सब आये तुम्हारे आगे,
सकल मिल विनय करन लागे ।
पवन कू भी लाए सागे,
क्रोध सब पवन तना भागे ।
सभी देवता वर दियो,
अरज करी कर जोड़ ।
सुनके सबकी अरज गरज,
लखि दिया रवि को छोड़ ।
हो गया जगमें उजियाला ॥ जयति जय जय ॥ 3 ॥

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रहे सुग्रीव पास जाई,
आ गये बन में रघुराई ।
हरी रावण सीतामाई,
विकल फिरते दोनों भाई ।
विप्र रूप धरि राम को,
कहा आप सब हाल ।
कपि पति से करवाई मित्रता,
मार दिया कपि बाल ।
दुःख सुग्रीव तना टाला ॥ जयति जय जय ॥ 4 ॥

आज्ञा ले रघुपति की धाया,
लंक में सिन्धु लाँघ आया ।
हाल सीता का लख पाया,
मुद्रिका दे बनफल खाया ।
बन विध्वंस दशकंध सुत,
वध कर लंक जलाय ।
चूड़ामणि सन्देश सिया का,
दिया राम को आय ।
हुए खुश त्रिभुवन भूपाला ॥ जयति जय जय ॥ 5 ॥

जोड़ कपि दल रघुवर चाला,
कटक हित सिन्धु बांध डाला ।
युद्ध रच दीन्हा विकराला,
कियो राक्षस कुल पैमाला ।
लक्षमण को शक्ति लगी,
लायौ गिरी उठाय ।
देई संजीवन लखन जियाये,
रघुवर हर्ष सवाय ।
गरब सब रावण का गाला ॥ जयति जय जय ॥ 6 ॥

रची अहिरावण ने माया,
सोवते राम लखन लाया ।
बने वहाँ देवी की काया,
करने को अपना चित चाया ।
अहिरावण रावण हत्यौ,
फेर हाथ को हाथ ॥ मन्त्र विभीषण पाय आप को ।
हो गयो लंका नाथ ।
खुल गया करमा का ताला ॥ जयति जय जय ॥ 7 ॥

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अयोध्या राम राज्य किना,
आपको दास बना लीना ।
अतुल बल घृत सिन्दूर दीना,
लसत तन रूप रंग भीना ।
चिरंजीव प्रभु ने कियो,
जग में दियो पुजाय ।
जो कोई निश्चय कर के ध्यावै,
ताकी करो सहाय ।
कष्ट सब भक्तन का टाला ॥ जयति जय जय ॥ 8 ॥

भक्तजन चरण कमल सेवे,
जात आय सालासर देवे ।
ध्वजा नारियल भोग देवे,
मनोरथ सिद्धि कर लेवे ।
कारज सारो भक्त के,
सदा करो कल्यान ।
विप्र निवासी लक्ष्मणगढ़ के,
बालकृष्ण धर ध्यान ।
नाम की जपे सदा माला,
कृपा कर सालासर ॥ जयति जय जय ॥ 9 ॥
॥ समाप्त ॥