॥ Dyana Slokas of Maheshwara Moortham in Marathi ॥
॥ माहेश्वर मूर्थम ध्यान श्लोका ॥
भिक्शाटनर
शुक्लापम.ह शुभलोचनम.ह दूर्वांकुरम.ह दक्शिणे
वामेशूल कपाल सम्युतकरम.ह सत्पादुकम.ह पादयोः ।
लम्बत पिण्ग जटाधरम.ह शशिधरम.ह दक्शे मृगम.ह वामहे
भिक्शा पात्रधरम.ह सकुण्डपिठरम.ह भिक्शाटनेशम.ह भजे ॥
कामारि
भस्मोद.ह्धूळित विग्रहम.ह शशिधरम.ह गंगाफणि मण्डितम.ह
टंकम.ह कृश्ह्णमृगम.ह तथानममलम.ह वीरासने सुस्थितम.ह ।
अंगे सव्यकरे परम.ह करतलम.ह विन्यस्य योगेरतम.ह
व्याघ्र त्वक्वसनम.ह ललाट जद्रुशा दग्धस्मरम.ह त्वाम.ह भजे ॥
कालारि
सिन्दूरापरम.ह त्रिनेत्रम.ह युगभुज सहितम.ह ह्युत्रुतम.ह शूलहस्तम.ह
पाशम.ह सुशिवहन्तम.ह परशुमपितथा भीष्मदंश्ह्ट्रम.ह सुवक्त्रम.ह ।
पादम.ह कुञ्चित वाममुत्थेरुततलम.ह कालस्य वक्शस्थले
न्यस्त्वा पिण्ग जटाधरम.ह पशुपतिम.ह कालान्तकम.ह नौम्यहम.ह ॥
कल्याण सुंदरर
सिन्दूरापरम.ह त्रिनेत्रम.ह युगभुजसहितम.ह हारकेयूर भूश्हम.ह
दिव्यैर वस्त्रैर वृतांगम.ह वरसमुचितलसत.ह वेश्हयुक्तम.ह शुभांगम.ह ।
वन्दे कल्याणमूर्तिम.ह करतलकमले देविहस्तम.ह तथानम.ह
हस्ते टंकम मृगञ्च तततमधवरम.ह बद्दगंगेन्दु चूडम.ह ॥
ऋषभारूढर
सव्येस्यात.ह वक्रदण्डान्वित कटक करम.ह गोपतेः पृश्ह्ठ संस्थम.ह
वामस्यार्तम.ह सदक्शम.ह वरकरयुगळे टंक कृश्णम.ह तथानम.ह ।
फालस्थाक्शम.ह प्रसन्नम.ह त्रिनयन सहितम.ह बद्द वेणी किरीटम.ह
वामे गौर्या समेतम.ह नमत शुभकरम.ह तं वृश्हारूढमीशम.ह ॥
चंद्र शेखरर
अभय वरद हस्तम.ह सौम्य शृंगार भावम.ह
विपुल वदन नेत्रम.ह चन्द्र बिंबांग मौळिम.ह ।
ऋजुतनु समपादस्थानकम.ह विद्रुमापम.ह
हरिण परशु पाणिम.ह पद्मपीठोपरिस्थम.ह ॥
उमा महेश्वरर
धवळाप सुखासन सन्निहितम.ह
मृग डिंबक टंक वराभयदम.ह ।
सुमुखम.ह परमुत्पलधृक.ह वरदम.ह
उमया सहितम.ह प्रणमामि भवम.ह ॥
नटराजर
एकास्यन्तु चतुर्भुजम.ह त्रिनयनम.ह वामेतु धुर्धूरकम.ह
चन्द्रम.ह पत्र शिखि प्रसारित करम.ह चोर्ध्वम.ह पदम.ह कुञ्चितम.ह ।
सव्ये स्वस्तिक कुण्डलम.ह डमरुकम.ह गंगाभयेपिप्रदम.ह
वन्दे कीर्णजटम.ह नटेशमनिशम.ह ह्यपस्मार देहेस्थितम.ह ॥
त्रिपुरारि
रक्तापम.ह परिपूर्ण चन्द्रवदनम.ह कृश्ह्णम.ह मृगम.ह कार्मुकम.ह
वामे सव्यकरे शरञ्च तथतम.ह टंकञ्च देव्यायुतम.ह ।
गंगाचन्द्र कलाधरम.ह हरिविरिञ्चाद्यैस्सदा सेवितम.ह
हासैर्दग्ध पुरत्रयम.ह त्रिभुवनाधीशम.ह पुरारिम.ह भजे ॥
जलन्दरारि
रक्तापम.ह उग्र गमनम.ह त्रिविलोचनाभयम.ह
टंकासि कृश्ह्ण मृग चाप सुशोभि हस्तम.ह ।
भूमिस्थ चक्र धरणोद्ग जलन्धरस्य
कण्ठग्न माभज जलन्धर हरस्वरूपम.ह ॥
मातंगारि
स्थित्वा हस्ति शिरस्त दक्शचरणम.ह वामांग क्शोतृदम.ह
पुच्चोर्त्वावृत चर्म उद्धृतकरम.ह शूलासि शरुण्गोज्वलम.ह ।
टंकम.ह कृश्ह्णम.ह धरम.ह वरकरम.ह भीश्ह्माननेन्दु प्रभम.ह
वामोमाति भयोन्मुखी सुतयुतम.ह सूच्याट्य हस्तम.ह हरम.ह ॥
कराळर
चतुर्भुजम.ह त्रिनेत्रञ्च जटामकुट सम्युतम.ह
दक्शिणे खड्गबाणञ्च वामे चाप गदाधरम.ह ।
दम्श्ह्ट्रा कराळ वदनम.ह भीमम.ह भैरव गर्जितम.ह
भद्रकाळि समयुक्तम.ह कराळम.ह हृदि भावये ॥
शण्कर नारायणर
सव्यांगे विदृमापम.ह शशिधर मकुटम.ह भस्मरुद्राक्श भूश्हम.ह
वामांगे श्यामलापम.ह मणिमकुटयुतम.ह पीतवस्त्रादि शोभम.ह ।
सव्ये टंकाभयम.ह स्यातितर करयुगे शंख कौमोदकी च
किंचिल्ललाट नेत्रम.ह हरिहरवपुश्हम.ह संततम.ह नौमि शंभुम.ह ॥
अर्ध नारीश्वरर
पुम्स्त्रीरूपधरम.ह तनौशशि जटा टंकारुणापम.ह पणिम.ह
व्याघ्र त्वक्वसनम.ह प्रकोश्ह्ठ वृश्हभम.ह वक्रांघ्रिकम.ह दक्शिणे ।
वामे श्यामल वरोत्पलालककुच क्शौमर्जु पादांबुजम.ह
द.ह्हेम विभूश्हणाति रुचिरम वंदे अर्धनारीश्वरम.ह ॥
किरातर
कृश्ह्णांगम.ह द्विभुजम.ह धनुच्चरधरम.ह मुत्तालकम.ह सुस्थितम.ह
क्रूराक्शिद्वय सम्युतम.ह विपुलसत्वक्त्रम.ह ह्युरोविस्तृतम.ह ।
शीर्षे पिंच्हधरम.ह सुगन्ध कुसुमम.ह शार्दूल चर्माम्बरम.ह
बद्द व्याळ विराजितोधरमहम.ह ध्यायेत.ह किरातम.ह हरम.ह ॥
कंकाळर
रक्तापम.ह स्मितवक्त्रम.ह इन्दुमकुटम.ह वामेतु दोर्दण्डके
त्र्यक्शम.ह वेदकरांबुजम.ह सदधृतेः कंकाळ वीणाधरम.ह ।
सव्ये यश्ह्टिधरम.ह परे डमरुकम.ह सव्यापसव्य क्रमात.ह
टंकम.ह कृश्ह्णमृगम.ह कंकाळदेवम.ह भजे ॥
चण्डेश अनुग्रहर
चण्डेशम.ह पीतवर्णम.ह युगकरसहितम.ह दक्शहस्तेरत टंकम.ह
पिप्राणम.ह कृणसारम.ह वरकर सहितम.ह पार्वती वामभागम.ह ।
चण्डेशस्योत.ह तमांगम.ह प्रतिनिहितकरम.ह दक्शभागे त्रिनेत्रम.ह
सर्वालण्कार युक्तम.ह शशिशकलधरम.ह गंगयायुक्त मीडे ॥
चक्र प्रदर
विश्ह्णुस्द्वीश पुरस्थितो रंजलिकरो देवस्य पादाब्जयोः
अभ्यर्च्याक्शिलसत.ह सहस्रकमलम.ह सम्प्राप्तवान.ह ईश्वरात.ह ।
यस्माच्चक्रमतोवरम.ह पशुपतेः पद्माक्श इत्याघ्य़या
टंकम.ह कृश्ह्णमृगम.ह वरम.ह परकरात.ह चक्रप्रदम.ह तम.ह भजे ॥
सह उमा स्कंदर
उद्यत.ह भानुनिभम.ह चतुश्ह्करयुतम.ह केयूरहारैर्युतम.ह
दिव्यम.ह वस्त्रधरम.ह जटामकुटिनम.ह संशोभि नेत्रत्रयम.ह ।
वामे गौर्युतम.ह सुगन्धमुभयोर मध्ये कुमारम.ह स्थितम.ह
सोमास्कंद विभुम.ह मृगाभयवरम.ह टंकम.ह तथानम.ह भजे ॥
एकपादर
ध्यायेत.ह कोटिरविप्रम.ह त्रिनयनम.ह शीताम्शु गंगाधरम.ह
हस्ते टंकम.ह मृगम.ह वराभयकरम.ह पादैकयुक्तम.ह विभुम.ह ।
शम्भोर्दक्शिण वामगक्शभुजयोर.ह ब्रह्माच्युताभ्यांयुतम.ह
तत्तल्लक्श्ण मायुधैः परिवृतम.ह हस्तत्वयाट याञ्जलिम.ह ॥
विघ्नेश अनुग्रहर
टंकम कृश्णमृगम.ह तथानममलम.ह प्रालम्बि सव्यांघ्रिहम.ह
वामे निधृतपाद मिन्दु सदृशम.ह त्रयक्शम.ह जटाशेखरम.ह ।
वामांगे धृत विघ्नराजमितरम.ह तन्मूर्ध्नि विन्यस्यतत.ह
प्रीत्यानुग्रहम.ह त्रिपुण्ड्रधरणम.ह विघ्नप्रसादम.ह भजे ॥
दक्शिणामूर्ति
पादेनाक्रम्य भूतम.ह तदुपरिगुणितम.ह पादमेकम.ह निधाय
व्याकुर्वन.ह सर्वशब्दान.ह निजकटक महीभागबाजाम.ह मृगाषीणाम.ह ।
व्याळम.ह व्याख्यानमुद्राम.ह हुतवहकलिकाम.ह पुस्तकम.ह चाक्शमालाम.ह
बिभ्रत दोर्पिस्चतुर्भिस.ह स्फुरतु ममपुरो दक्शिणामूर्तिरीशः ॥
श्री नीलकण्ठर
अभयवरद हस्तम.ह टंक सारण्ग युक्तम.ह
शशिधरमहिभूषम पीत वस्त्रम त्रिनेत्रम ।
शिवमसितकळाट्यम तम वृषारूढ देवम
विषहरणक मीशम चित्र पिञ्च्हाट्य रूपम ॥
सुखासनर
शान्तम श्वेतम त्रिनेत्रम रसभुजसहितम कुण्डलोत्पासि कर्णम
दण्डम घण्टाम कुरङ्गम.ह्परशु पणिधराभीतिकम दशवामैः ।
पिप्राणम वामपादम शयितमथपरम लम्बिभूतस्त पादम
वामे गौर्यासमेदम शशिधरमकुटम तम सुखासीनमीडे ॥
लिङ्गोद्भवर
देवम गर्भगृहस्य मानकलिते लिङ्गे जटाशेखरम
कट्यासक्तकरम परैस्च तततम कृष्णम मृगञ चाभयम ।
सव्ये टंकममेय पादमकुटे ब्रह्माच्युताभ्याम युतम
ह्यूर्ध्वातस्थित हंस कोलममलम लिङ्गोद्भवम भावये ॥